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Sunday, May 31, 2020

अंधभक्त किसे कहते हैं?

अंधभक्त किसे कहते हैं? और कैसे मिटेगी अंधभक्त की अंधभक्ति?


वर्तमान की गुरुकुल में पढ़ रहे छात्रों में से एक छात्र ने गुरु से पूंछा कि गुरुजी आखिर ये अंधभक्ति क्या होती है?

गुरुजी ने छात्र से अचंभित होकर पूछा कि वत्स आखिर तुम्हें अचानक अंधभक्ति के विषय में पूंछने के लिए क्यों सूझा?

दुविधा से ओत-प्रोत छात्र ने कहा-गुरुजी वर्तमान समय में मेरे ज्यादातर परिचित सोशल मीडिया में लिख रहे हैं  कि आजकल अंधभक्ति ज्यादा बढ़ गई है,इसलिए मेरे मन में सवाल आया कि आखिर ये अंधभक्ति है क्या?

तब गुरुजी मुस्कुराते हुए बोले वत्स- किसी भी शास्त्र या पुराण में अंधभक्ति की विवेचना अभी तक नहीं की गई है.इसलिए अभी तक लोग केवल भक्ति की परिभाषा ही जानते थे परन्तु वर्तमान समय में जरूरत से ज्यादा अंधभक्तों ने जन्म ले लिया है इसलिए अंधभक्ति की परिभाषा तय करने की जरूरत आ गई है.अतः सोशल मीडिया व व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी को साक्षी मानकर मैं आज अंधभक्ति की परिभाषा बताने जा रहा हूँ.परिभाषा में कोई भी संशय हो तो बिना डरे गुरुकुल के अनुच्छेद 19 के अभिव्यक्ति की स्वत्रंता के तहत आप लोग सवाल जरूर पूछ लीजियेगा .गुरुजी ने छात्रों से आगे कहा कि अंधभक्ति के पहले आपको भक्ति की परिभाषा बताना चाहूंगा

भक्ति - देवी भागवत के अनुसार ' पूजनीयों ' के प्रति प्रेम का भाव ही भक्ति है.यहां ' पूजनीय ' शब्द की अर्थ माता , पिता , गुरु आदि से है.भक्ति कई प्रकार की हो सकती है जैसे ईश्वर भक्ति,मातृ-पितृ भक्ति,गुरु भक्ति अथवा देशभक्ति.परन्तु आजकल समाज में  सभी जगह अंधभक्ति व्याप्त है.लेकिन फिर वही सवाल उठता है कि आखिर अंधभक्ति किसे कहते हैं?

अंधभक्ति का अर्थ है जब कोई भी भक्त सत्ता पर आंख बंद करके विश्वास करता है और सरकारी आंकड़ों को दरकिनार करके उसका अंधा पक्ष लेते हुए बिना तथ्य और सबूत के हवा में बातें करता हुआ हवाई विकास के पुल बनाता है ,उसे अंधभक्ति कहते हैं.

तभी उन्हीं छात्रों में से एक छात्र ने कहा कि गुरुजी जरा सरल व स्पष्ठ परिभाषा दीजिए ताकि आसानी से समझ आए.
गुरुजी ने मंद मुस्कान भरते हुए कहा वत्स- अंधभक्ति का अर्थ है कि जब लोकतंत्र में कोई  सत्ता के प्रति इतने ज्यादा विश्वास करने लगे कि उसे ना तो सत्ता की आलोचना सुनने का साहस हो और ना ही सरकारी आंकड़े को समझने का प्रयास करे.बस झूठे अंध विश्वास में आगे बढ़ते चले जाए,उसी को अंधभक्ति कहते हैं.

तभी छात्रों के सबसे पीछे वाली लाइन से एक आवाज आई कि गुरुजी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है,आप जरा उदाहरण के साथ समझाने का कष्ट करें.

छात्र के इस निवेदन के बाद स्वयं गुरु ही व्याकुल हो गए.गुरूजी ने सोचा अगर मैं नाम लेकर उदहारण समझाऊंगा तो कहीं सोशल मीडिया के अंधभक्त मुझे ना ट्रोल करने लगे.परन्तु छात्र द्वारा जिद करने पर गुरूजी ने 56 इंच का सीना करते हुए बताना शुरू किया.
गुरूजी ने आगे कहा - वत्स पिछले 70 सालों से भारत को लूटा जा रहा था,देश में कहीं भी विकास नहीं हुआ था.इतना ही नहीं हिंदुत्व पूरी तरह से खतरे में था तब मोदी रूपी भगवान ने 2014 में जन्म लिया और भारत के लूटे गए खजाने(कालाधन) को वापस करवा लिया. विकास की गंगा बहने लगी. और हिंदुत्व पूरी तरह से सुरक्षित हो गया.मोदी जी द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों को देखकर सोशल मीडया सहित तमाम प्लेटफॉर्म में मोदी भक्त पैदा हो गए,उन्हें ही पौराणिक भाषा में अंधभक्त कहते हैं.और अंधभक्त की पूरी प्रक्रिया को अंधभक्ति कहते हैं.



गुरूजी के आगे कुछ और बोलते इससे पहले ही छात्र ने कहा लेकिन गुरूजी मैं तो मोदी सरकार के सरकारी मंत्रालय के आकंड़ो को पढ़ा हूँ.आपने जितना भी विकास बताया,रिपोर्ट्स की माने तो ,वो तो हुआ ही नहीं।

गुरूजी ने आगे कहा-वत्स तुम देशद्रोही मत बनो क्योंकि विज्ञापनों में वाकई विकास हुआ है.सरकारी आंकड़ों में नहीं हुआ तो क्या हुआ?
छात्र ने फिर सवाल किया- गुरूजी लेकिन अंधभक्त सरकारी रिपोर्ट्स को क्यों नहीं मानते हैं?

गुरूजी ने कहा-वत्स अंधभक्तों को विश्वास है कि भगवान मोदी हिंदुत्व की रक्षा कर रहे हैं और स्वयं भक्त भगवान के इस युद्ध में उनका सेना के रूप में मनोबल बढ़ा रहे हैं.इसलिए उन्हें सरकारी आंकड़ों पर यकीन नहीं होता है.

छात्र ने कहा गुरूजी आप आज के अंतिम सवाल का जवाब जरूर दीजियेगा,अंतिम सवाल है कि अंधभक्तों को सही मार्ग कब मिलेगा?
गुरूजी कुछ समय विचार करने के बाद बोले-वत्स अंधभक्ति का खत्म होना असंभव सा है क्योंकि सभी भक्तों को झूठे राष्ट्रवाद का सस्ता नशा दे दिया गया है.इसलिए अंधभक्ति का अंत होना जरा असंभव सा लगता है लेकिन फिर भी जब अंधभक्त स्वयं बेरोजगारी की वजह से अपने परिवार को नहीं पाल पाएगा,मंहगाई की वजह से बार-बार मारा जायेगा.और हिंदुत्व की रक्षा के लिए मॉब लिंचिंग करने के जुर्म में जेल जायेगतब उसकी अंधभक्ति धीरे-धीरे ख़त्म होगी.

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