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एक चार ईट्टों की बनी माता को #भगवान मान लेंगे उस माता पर कुत्ता पेशाब करता है वह भगवान है! पत्थर की मूर्ति को पूजते हैं,पीरो मजारों को पूजते है जो बोल नहीं सकते #समाधान नहीं कर सकते. तीर्थों पर जाते हैं। क्या मिलता है,कुछ नहीं। गंगा मे नहाने से पाप कटते हैं तो सबसे पहले कछुवे मेंढक मछली सैकडों जीवों के कट जाने चाहिये वे तो गंगा मे ही रहते हैं । गंगा मे नहाने से तन का मैल दूर हो गया मन का मैल कैसे दूर करोगे.. उसके लिए कबीर साहेब कहते है।.. कबीर -पर्वत पर्वत मैं फिरा कारण अपने राम। राम सरीखे संत मिले, जिन सारे सब काम.. कबीर परमात्मा हमें समझाने के लिए एक trainer की तरह अपने उपर उदाहरण देकर कहते है मैंने भगवान को पर्वत पर्वत जंगलो में ढूंढा कहीं भगवान नही मिले.. राम जैसे ज्ञानी संत मिले उन संतो से मेरा हर काम सफल हो गया.. कबीर- तीर्थ जाये एक फल, #संत मिले अनेक फल पूर्ण संत के सतसंग से अनेक फल मिलते है मन का मैल दूर होता है आत्मा निर्मल होती है। पूर्ण संत की शरण लो वह पूर्ण गुरू आपको पूर्ण परमात्मा की भक्ति भी बतायेगा आपको ज्ञान भी मिलेगा और आपका समाधान भी करेगा.. पूर्ण संत के पास से आप खाली हाथ नही आ सकते आपको #ज्ञान मोक्ष मार्ग और समाधान मिलता है लेकिन इन पत्थरो को पूजने से कुछ नही मिलता.. वेद,गीता मे नहीं लिखा कि पत्थर तीर्थ पूजो..लोग गाय को पूजते है ये मानकर गाय मे 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है, पूर्ण संत से हमें तत्वज्ञान मिलता है , पूर्ण परमात्मा की पूजा विधि मिलती है जिससे पूर्ण मोक्ष होगा.. हमारी रक्षा होगी?? सतनाम सारनाम गायत्री तीन तरह के मंत्र मिले.. जिनसे इतना कुछ मिला हमारे विकार दूर कर दिये वह हमारे लिए
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